किसी भी लड़की का जब विवाह हो जाता है, तो उसे महिला की संज्ञा दी जाती है | साथ ही उसे विवाह के बाद कुंवारी भी नहीं माना जाता है | लेकिन हमारे पुराणों में कुछ ऐसी महिलाओं का वर्णन किया गया है, जिन्हे विवाह के बाद भी कुंवारी ही माना जाता है | आज हम आपके लिए बेहद रोचक जानकारी लाये है, तो आइये देखते है आज की इस पोस्ट में आपके लिए क्या खास है |
अहिल्या
अहिल्या महर्षि गौतम की पत्नी थी, जो दिखने में काफी खूबसूरत थी | उनकी सुंदरता पर देवराज इंद्रा भी मोहित गए और उनमे वासना की भावना जाग गयी | एक बार जब सवेरे महर्षि गौतम स्नान के लिए गए तो देवराज इंद्रा ने उनके जैसा ही रूप धार लिया और अहिल्या से संबंध बना लिए, तभी महर्षि गौतम वहां पहुंचे तो उन्होंने अहिल्या को परपुरुष से संबंध बनाने को लेकर श्राप दे दिया | लेकिन इसमें अहिल्या की कोई गलती नहीं थी, इस बात का बाद में महर्षि को अहसास हुआ | पति के प्रति निष्ठावान होने के चलते उन्होंने वो श्राप स्वीकार कर लिया, जिस वजह से उन्हें पवित्र माना गया |
मंदोदरी
मंदोदरी रावण की पत्नी थी, जब श्रीराम ने रावण का वध कर दिया तो उन्होंने विभीषण को लंका का राजा बनाया | साथ ही विभीषण को मंदोदरी को पत्नी के रूप में स्वीकार करने को कहा | इसके बाद विभीषण ने मंदोदरी को पत्नी के रूप में स्वीकार किया, तब उन्हें पवित्र ही माना गया था |
द्रौपदी
द्रौपदी ने 5 पुरुषो से विवाह किया था | बताया जाता है कि द्रौपदी प्रत्येक पांडव के पास 1 वर्ष रहती थी और एक वर्ष के बाद वो अग्नि में प्रवेश करती थी | अग्नि से बाहर आते ही वो पूरी तरह पवित्र हो जाती थी, जानकारी के लिए बता दे चीर हरण के बाद द्रौपदी ने अपने किसी भी पति को स्वयं को स्पर्श करने नहीं दिया था |
कुंती
माता कुंती पांडवो की माँ थी | बताया जाता है कि पांडू को श्राप था, जिस वजह से वे किसी भी स्त्री को स्पर्श नहीं कर सकते थे |ये बात सभी जानते है कि विवाह से पहले ही ऋषि दुर्वासा ने कुंती को पुत्र प्राप्ति का मंत्र दिया था | इस मंत्र का उपयोग करके ही कुंती को अपने पुत्र प्राप्त हुए थे, इसी वजह से कुंती को भी पवित्र माना गया | जानकारी के लिए बता दे युधिष्ठर के जन्म के कुछ सालो बाद पांडू कि मृत्यु हो गयी थी |